एक दिन की बात है लेखक स्टेफेन कोवे एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे. वहा का माहौल बहुत ही शांतिमय था, तभी वहा पर एक आदमी अपने दो बच्चो के साथ आता है. बच्चे रेस्टोरेंट में आते ही पुरे रेस्टोरेंट में हंगामा मचा दिया। वह आदमी जो उन बच्चो को लाया था, वह एक कोने में बैठकर अपना फ़ोन चलाने लगा.
तभी स्टेफेन को गुस्सा आया और उन्होंने उस आदमी से कहा तुम कैसे पिता हो, तुम्हारे बच्चे पुरे रेस्टोरेंट में शोर मचाये हुए है और तुम अपने फ़ोन में व्यस्त हो. इतना सुनते ही वह आदमी अपनी लड़खड़ाती हुई जबान से स्टेफेन से बोल इनकी माँ की अभी 1 घंटे पहले ही देहांत हुआ है.
इसलिए ना इन बच्चो को समझ में आया रहा है की ये क्या करे और ना ही मुझे समझ में आया रहा है की मैं क्या करू, इसलिए मैं अपने फ़ोन में उसकी तस्वीर देखकर अपने मन को यकीन दिला रहा हु.
इतना बोलने के बाद उस आदमी ने सभी से माफ़ी मांगी और वहा से अपने बच्चो को लेकर चला गया. यह घटना घटने स्टेफेन में पड़ जाते है की यह दुनिया हमें वैसी ही लगती है जैसा हम इसे देखते है.
एक दिन की बात है लेखक स्टेफेन कोवे एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे. वहा का माहौल बहुत ही शांतिमय था, तभी वहा पर एक आदमी अपने दो बच्चो के साथ आता है. बच्चे रेस्टोरेंट में आते ही पुरे रेस्टोरेंट में हंगामा मचा दिया। वह आदमी जो उन बच्चो को लाया था, वह एक कोने में बैठकर अपना फ़ोन चलाने लगा.
तभी स्टेफेन को गुस्सा आया और उन्होंने उस आदमी से कहा तुम कैसे पिता हो, तुम्हारे बच्चे पुरे रेस्टोरेंट में शोर मचाये हुए है और तुम अपने फ़ोन में व्यस्त हो. इतना सुनते ही वह आदमी अपनी लड़खड़ाती हुई जबान से स्टेफेन से बोल इनकी माँ की अभी 1 घंटे पहले ही देहांत हुआ है.
इसलिए ना इन बच्चो को समझ में आया रहा है की ये क्या करे और ना ही मुझे समझ में आया रहा है की मैं क्या करू, इसलिए मैं अपने फ़ोन में उसकी तस्वीर देखकर अपने मन को यकीन दिला रहा हु.
इतना बोलने के बाद उस आदमी ने सभी से माफ़ी मांगी और वहा से अपने बच्चो को लेकर चला गया. यह घटना घटने स्टेफेन में पड़ जाते है की यह दुनिया हमें वैसी ही लगती है जैसा हम इसे देखते है.
अत्यधिक प्रभावशाली लोगों की 7 आदतें
सभी के जीवन में जीवन के 3 फेसेस आते है, जिसमे पहला फेज पैदा होने से १७-18 तक के होने तक होता है. हमारे भारत में जब तक आप काम पर नहीं लग जाते है आप डिपेंडेंस फेज में होते है और बाद जब आप को काम मिल जाता है जो आप इंडिपेंडेंस फेज में होते है, यह वही होता है जहा पर आदमी सफलता तो पा लेता है लेकिन वह खुस नहीं होता है. जिसकी वजह से वह यह तो यह दुनिया एक-दूसरे से जुडी हुई है जिसे हम इंटर-डिपेंडेंस फेज कहते है.
लेखक की नजरिये से हर व्यक्ति के जीवन में ये तीन डिपेंडेंस, इंडिडेपेंडेन्स और इंटर-डिपेंडेंस फेज होते है. इसलिए इस किताब में बताई गयी पहले के तीन आदते या हैबिट्स पर्सनल ग्रोथ को दर्शाती है. आदते या हैबिट्स 4 से लेकर 6 तक कम्युनिटी और नेटवर्क स्किल को दर्शाती है. 7 आते या हैबिट्स है रेगुलर इम्प्रूवमेंट पर.
1.सक्रिय होना
एक ही चीज़ है जो इंसान को जानवर से अलग बनती है वह है आत्म जागरूकता। हम इंसान अपने हर एक कार्य को परख सकते है, जानवर भी सोचने और समझने की ताकत रखते है लेकिन वे अपने कार्य को परख नहीं सकते है.
यह इसलिए महत्वपर्ण है क्युकी जो अपने कार्य को लेकर जागरूक रहते है वह उसे कण्ट्रोल भी कर सकते है. इस दुनिया मे दो प्रकार के लोग रहते है पहला प्रोएक्टिव और दूसरा रिएक्टिव।
रिएक्टिव लोग वह होते है जो परिस्थिति के अनुसार अपने मन और अपनी आदतों को बदलते रहते है. उदहारण के लिए, आप बारिस में या ट्रैफिक में लोगो को गुस्सा करते हुए देखा होगा।
दूसरे ओऱ प्रोएक्टिव लोग को पता होता है की बाहरी चीज़े उनके कण्ट्रोल में नहीं है लेकिन आंतरिक चीज़ो को मैं कण्ट्रोल कर सकता हु.वे जानते है की जितने देर ट्रैफिक है उतने देर मैं अपना पसंदीदा गाना सुनकर अपने मन व्यस्त कर सकता हु.
प्रोएक्टिव लोग ऐसे होते है जो परिणाम आने पर किसी दूसरे को दोसी नहीं ठहराते है. वही पर रिएक्टिव लोग काम का पूरा न होने पर दूसरे लोगो दोसी ठहराते है.
अपने जीवन में कुछ बदलाव करके आप प्रोएक्टिव बन सकते है जैसे जब आप का मन किसी से ऐसे कहने को कहे की मैं तो ऐसा ही हु तो आप कहिये यदि मैं चाहु तो अपनी आदतों को बदल सकता हु.
2.अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रख कर शुरुआत करें
अभी आप यह एक्सरसाइस कीजिये, अपने आँखों को बंद कीजिये और कल्पना कीजिये की किसी के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है. वह पर सभी लोग एक दूसरे से बाते कर रहे है, उन सभी के चेहरे पर दुःख है औरआप भी वह पर हाथ में फूल लेकर शरीर की अंतिम दर्शन के लिए आये हुए है.
लेकिन आपको वह पता चलता की यह तो आपका ही अंतिम संस्कार हो रहा है.इसके बाद आप दबे पाव एक दरवाजे की ओर जाते हो और पूरी घटना को देखने लगते हो. आप यह देखते है की आपके भाई-बहन, माता-पिता, बच्चे और पत्नी आपके बारे में क्या बात कर रहे है.
अब आप सोचो की आप क्या सुनना चाहते है? लोग आपके बारे में क्या बोले? यदि आप चाहते है लोग आपके बारे में बोले की आप एक अच्छे पति थे बेटे थे. तो आपको यह सोचना चाहिए की क्या है व्यव्हार ऐसा है की लोग कहे की मैं एक अच्छा पति और बेटा था.
इस छोटे से एक्सेर्साइज़ से आपको यह एहसास हो जाएगा की आप जिसके पीछे भाग रहे हो वह आपकी मंजिल है की नहीं है. आज की यह दुनिया इतनी उलझनों से भरी है की समझदार से समझदार से इंसान भी इसके अंदर हो जाता है.
बिना किसी लक्ष्य के आप सायद सफल भी हो जाये लेकिन आपको संतुस्टी कभी नहीं मिलेगी। इसलिए जब आप कुछ करे तो अपने लक्ष्य की एक तस्वीर को मन में बसाये रहे जिससे आप अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकोगे।
जैसे आप अपने बच्चो से प्यार करते हो उन्हें दुनिया का हर सुख देना चाहते है लेकिन इस बिच आप भूल जाते हो की उन्हें आपकी पैसो के साथ-साथ आपकी समय की भी जरुरत थी.
किसी भी चीज़ को करने के लिए एक प्रॉपर प्लानिंग की जरुरत पडती है. यदि आप किसी बिल्डिंग को बिना ब्लू प्रिंट के बनायेगे तो वह बिल्डिंग ख़राब बननी ही है और एक दिन गिर जानी है.
इसी तरह आप अपने लाइफ की ब्लू प्रिंट जरुर तैयार करे और उनमे कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स को अंकित करे जो आपको आगे के जीवन चाहिए। कोई भी चीज़ फिजिकल होने से पहले आपके दिमाग में होती है इसलिए अपने दिमाग को अंत में रखे.
3.प्राथमिकता वाली बातें पहले करें
अभी आप क्या कर रहे हां, हां मुझे पता है की आप इस लेख को पढ़ रहे हो लेकिन इसके बाद क्या करने वाले है.क्या आप वो काम करने वाले हो जो अपने अनिम संस्कार में सोचा था या आप वह काम करोगे जो बहुत जरुरी है लेकिन उसे आप बहुत समय से टालते आ रहे हो.या आप आगे भी टाइम पास करने की सोच रहे की इस लेख को पढ़ने के बाद अब कौन सा गाना सुनु।
यदि आप का जवाब हां में है तो आप इस आदत को जानने के बाद ऐसा कभी नहीं सोचेंगे। एक सवाल है की वह कौन सी चीज़ है जिसे आप कर सकते है लेकिन आप अभी कर नहीं रह हो. जिसे यदि आप रोज़ करते है तो आपके जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव आ जाते।
यदि आपके मन में टाइम मॅनॅग्मेंट की बात आ रही है तो आपको बता दू की सबके पास टाइम 24 घण्टे ही होते है. लेकिन यह वास्तविकता है की 24 घण्टे टाइम को कोई मैनेज नहीं कर सकता है. क्यूंकि टाइम मॅनॅग्मेंट एक अफवाह है कुछ सच है तो वह है सेल्फ मॅनॅग्मेंट।
सेल्फ मॅनॅग्मेंट एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. एक मैनेजर यह तय करता है की यह प्रोग्राम अच्छे से काम करे, लेकिन एक लीडर यह तह करता है की क्या वह काम कर सकता है की नहीं।
आपका एक जरुरी पर्सेन्टेशन है परसो, तभी आपके एक कॉलेज के दोस्त का फ़ोन आता है. सालो बाद वह आपके शहर में आया है और आपसे मिलना चाहता है. आपके कॉलोनी के दुबे अंकल चाहते है की आप कॉलोनी के प्रोग्राम में हिस्सा ले. वह बड़े है इसलिए आप ने उन्हें हां कह दिया है.
अब आप क्या करोगे? किसी भी काम को कब करना? अभी करना है या बाद में करना है? इसे तय करना बहुत मुश्किल है. इसमें आपकी मदत करेगा सेल्फ मॅनॅग्मेंट मैट्रिक्स। यानि एक पेपर पर आप चार स्क्वायर बना लो. उसमे चार भाग बन जायेंगे।
जिसमे पहले भाग में जरुरी कामो को रखो, दूसरे में रखो जरुरी है लेकिन अभी करना जरुरी नहीं है.तीसरे भाग में रखो जरुरी नहीं है लेकिन अभी करना है, और अंतिम और चौथे भाग रखो नहीं ही जरुरी है और ना ही करना है.
अब आगे आप ही सोचिये की आप क्या करेंगे परसो प्रेजेंटेशन की तैयारी, दोस्त से मिलने दुबे अंकल से किया हुआ वादा।
4.विन विन सोचो
हम इंसानो की दुनिया जंगल जैसी नहीं होती है जहा पर एक शिकार होता है और एक शिकारी। यहाँ आप लोग आपसी सूझ -बुझ से बिना किसी कम्पटीशन के रह सकते है. बस आपको इंटिग्रेटी, मातुरित्य अबण्डन मंद सेट को अपने जीवन का एक भाग बनाना होगा। फिर आप देखोगे की आप किसी भी परिस्थिति को विन विन परिस्थिति में बदल सकते हो.
एक अबण्डन माइंड सेट आपका यह बताता है की इस दुनिया में बहुत कुछ है आपको पाने के लिए और हर परिस्थिति को आप विन विन परिथिति बना सकते है. यानि यदि आपकी जित हुई है तो जरुरी न हो की किसी की हार हुई है.
बल्कि दोनों परिस्थिति से आप समान फायदा उठा सकते है. कल्पना कीजिये की बैंक में आप पैसे जमा करते है और फिर जरुरत पड़ने पर उस पैसे को निकाल लेते है. इसी तरह से इमोशनल अकाउंट भी चलता है.जब मैं ईमानदारी, इज्जत और वादे से आपकी इमोशनल अकाउंट को भर दूंगा तो आप मुझ पर यकीन करने लगोगे।
हो सकता है की मुझसे कुछ गलती हो जाये लेकिन आपका मुझपे विश्वास मुझे सहन कर लेगा। ऐसी परिस्थिति में हमारी हर बाते और आदते एक दूसरे के सामने होगी। यदि मैं बेईमानी, बेजत्ती और वादे तोड़ दूंगा तो मेरा इमोशनल अकाउंट खाली हो जायेगा और आपका मुझपे से यकीन ख़त्म हो जायेगा।
फिर मुझे हर काम सोच समझ कर करना होगा क्यूंकि इससे बहस कि नौबत आ सकती है. एक बार एक सॉफ्टवेयर कंपनी से एक बैंक के साथ 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट किया , लेकिन बैंक के कार्यकर्ता इस कॉन्ट्रैक्ट से खुस नहीं थे.
कुछ महीने के बाद बैंक के प्रेजिडेंट का ट्रांसफर हो गया और एक नया प्रेजिडेंट आया. उसने कार्यकर्त्ता की बात मानी और कमपनी के मालिक से प्रॉब्लम का हल निकालने पर जोर दिया।
क्यूंकि वह सॉफ्टवेयर कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट तोड़ कर हर्ज़ाना नहीं देना चाहते थे. सॉफ्टवेयर कमपनी मालिक बोला की यदि आप इस कॉन्ट्रैक्ट से खुस नहीं हो तो इसे कैंसिल कर देते है. ऐसा कहते हुए उसने कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल कर दिया, जिससे बैंक मैनेजर बहुत ही खुस हुआ. अगली बार जब सॉफ्टवेयर की जरुरत पड़ी तो उसी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट किया गया.
इससे आप समझ सकते है की जीवन में विन विन परिस्थिति लाने से आप कितनी इज्जत कमाते हो. इस बात याद रखना यदि आप की डील किसी को नुकसान पहुँचाती है तो वह डील आपको कभी न कभी जरूर नुकसान पहुँचाती है.
5.पहले समझने की कोशिश करो फिर समझने के लिए
इस दुनिया में किसी के करीब पहुंचने का सबसे आसान तरीका है उसे ध्यान से सुंनना। यदि आपके अंदर सुनने की कला अच्छी है तो आप किसी के दोस्त आसानी से बन सकते है. आज की इस दुनिया में हर कोई केवल सुनाना चाहता है कोई आपकी सुनना नहीं चाहता है.
और यदि किसी कारण से वह आपकी सुनता भी है तो वह भी आपसे सलाह पाने के लिए. तो चलिए बताइये की कब आपने किसी की आखरी बात सुनी और अपने यह नहीं कहा हो की यदि मैं तेरे जगह होता तो ये कर लेता, ऐसे करता और इतने समय लेता।
आप कभी भी किसी को अपने फायदे के लिए न सुनो, आप उसे इस लिए सुनो की उसका आप को बताने का नजरिया क्या है. सोचिये आप जिस कमरे में बैठे हो वहा की हवा निकल दे तो आप का इस लेख को पढ़ने की रूचि ख़तम हो जाएगी। आपको किसी की परवाह होगी तो वह है आपकी सांसो की.
जब आप सही में किसी की बात ध्यान से सुनते हो तो आप उसे हवा प्रदान करते है जिसमे उनकी फेल्लिंग चैन की साँस ले सकती है. वे आपसे खुलम खुला सबकुछ बात करता है. ऐसे में ऐसे रिश्ते बनते है जो बहुत ही मजबूत होते है.
6.तालमेल कायम
एक अकेले हिटलर ने पूरी दुनिया के नाक में दम कर दिया था. कैसे महात्मा गाँधी ने हमें आजादी दिला दिया? यह सुब कुछ मुमकिन हुआ उनके फोलोवर्स की वजह से. बचपन में हमने एक कहानी सुनी थी ना जब एक लकड़ी होती है तो उसे तोड़ना आसान होता है लेकिन एक लकड़ी के गठर को मुश्किल होता है.
जब परिवार हो या ऑफिस जब हम मिलकर काम करेंगे तो हम कुछ बड़ा प्राप्त कर सकते है. Synergize का बेसिक प्रिंसिपल ही यही होता है. Synergize का सबसे अच्छा उदाहरण मिलता है प्राकतिक आपदा के समय.
इस समय लोग एक दूसरे से तनाव को भूल कर एक दूसरे की जान बचाते है. लेकिन दिक्कत यह है की ऐसी Synergize हमारे साथ रोज़ नहीं होती है. हम सभी लोग अपने को एक-दूसरे से अलग समझते है.
निवेश करने से पहले इन 6 टिप्स को जरूर पढ़े- Investment Tips in Hindi
7.आरी में धार लगाना
एक कुल्हाड़ी जो एक पेड़ की डाली को झटके में काट देती है यदि आप उसके धार को धार नहीं देंगे तो वह छोटी सी डाल भी काट नहीं पायेगी। इसी तरह आपके पास कितना भी हुनर क्यों न हो यदि आप टाइम निकालकर अपने को फ्रेश नहीं करेंगे तो वह सब हुनर बेकार चला जायेगा।
इसीलिए आप अपने अंदर झाखो और अपनी हिम्मत को पहचान कर ही आगे के कार्य को करो. अपनी हेल्थ पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करो. डॉक्टर्स कि मदत से हमेशा अपना चेकउप करवाते रहो. जब आप यह करेंगे तभी आप अपने अंदर समय समय पर नयी स्किल को जोड़ सकते है.
इस लेख में आपको कोई निष्कर्ष दूंगा क्यूंकि पूरा लेख ही निष्कर्षो भरा पड़ा, यदि आपने ध्यान से पढ़ा होगा तो आप को जरूर मिला होगा। आज के लिए इतना ही, ध्यानवाद।
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