इन्वर्टर क्या होता है ? (What is Inverter in Hindi)
इन्वर्टर (Inverter) एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जो Direct Current – DC को Alternating Current – AC में बदलता है। AC पावर हमारे घरों, उद्योगों, और कई अन्य स्थानों पर उपयोग की जाती है, जबकि बैटरी या डीसी स्रोत से आई पावर DC होती है।
इन्वर्टर का मुख्य काम DC पावर को AC पावर में बदलना होता है, ताकि इसे यूजर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे कि टेलीविजन, कंप्यूटर
, फ्रिज, एयर कंडीशनिंग, और अन्य डिवाइसेस को चलाने के लिए कर सकते हैं।
इन्वर्टर का उपयोग बिजली की आपूर्ति के स्थानीय ब्रेकडाउन, बिजली के अभाव, यातायात में उपयोग किया जा सकता है, और यह भी सोलर पैनल और बैटरी सिस्टम के साथ उपयोग किया जा सकता है ताकि बिना बिजली बोर्ड से जुड़े आप अपनी बिजली की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
इसके अलावा, इन्वर्टर का उपयोग ऑफिस और उद्योगों में भी बैकअप पावर के रूप में किया जाता है ताकि उनके कार्यक्रम और उपकरणों को बिना रुकावट के चलाया जा सके, जब प्रमुख बिजली स्रोत में कोई समस्या हो।
इन्वर्टर कैसे काम करता है?
इन्वर्टर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो डीसी (Direct Current – DC) विद्युत शक्ति को आल्टरनेटिंग करेंट (Alternating Current – AC) विद्युत शक्ति में बदलता है। यह काम बिजली की आपूर्ति को सुचालने और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चलाने के लिए करता है।
इन्वर्टर के काम करने का प्रक्रिया निम्नलिखित है:
DC से AC में परिवर्तन: इन्वर्टर का प्रमुख काम होता है DC विद्युत शक्ति को AC विद्युत शक्ति में बदलना। यह कई प्रकार के स्विच और सिर्किट्स का उपयोग करके किया जाता है, जो समय-समय पर विद्युत धारा(इलेक्ट्रिक फ्लो) को बदलते हैं.
सिनवेव(Sinewave) या मॉडिफाइड स्कवर वेव(modified square wave) उत्पन्न करना: इन्वर्टर द्वारा उत्पन्न किया गया AC विद्युत शक्ति बजार में पाए जाने वाले AC सिनवेव या मॉडिफाइड स्कवर वेव के रूप में होता है, जो कि यूजर के डिवाइस को सहायक बिना नुकसान पहुंचाता है।
स्टेबिलाइजेशन और सुरक्षा: इन्वर्टर बिजली की गुणवत्ता और स्टेबिलाइज करने का काम भी करता है, जिससे आपके डिवाइस बिजली के अस्थायी उतार-चढ़ाव से प्रत्यारित रहते हैं।
बैटरी चार्जिंग: कुछ इन्वर्टर मॉडल्स में बैटरी चार्जिंग की सुविधा भी होती है, जिससे आप बिजली की आपूर्ति के साथ-साथ बैटरी को भी चार्ज कर सकते हैं।
बैकअप बिजली: इन्वर्टर बिजली की आपूर्ति को बिना बिजली बोर्ड के संचालित करता है, जिससे अस्थायी बिजली के अभाव में आपके उपकरण काम कर सकते हैं।
इस तरह, इन्वर्टर विद्युत शक्ति को विभिन्न डिवाइसों के उपयोग के लिए यूजर के लिए उपयोग में लाता है और उन्हें बिना बिजली के बिना रुकावट के काम करने में मदद करता है।
इन्वर्टर के प्रकार ? (Types of Inverter in Hindi)
इन्वर्टर कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
Sine Wave Inverter
यह इन्वर्टर आल्टरनेटिंग करेंट (AC) को Sine Wave आकार में बदलता है, जो बिजली की प्रमुख सोर्सों जैसा कि बिजली बोर्ड से मिलता है। इसका उपयोग सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए किया जा सकता है और यह उन्हें सुरक्षित और स्टेबल बिजली सप्लाई प्रदान करता है।
Modified Sine Wave Inverter
यह इन्वर्टर Sine Wave से थोड़ा अलग आकार की वेव उत्पन्न करता है। इसका उपयोग बहुत से डिवाइस के लिए किया जा सकता है, लेकिन कुछ डिवाइस जैसे कि फ्रिज और कंप्यूटर में समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
Square Wave Inverter
यह इन्वर्टर Square Wave आकार की वेव उत्पन्न करता है, जिसका उपयोग केवल कुछ साधारण डिवाइस के लिए किया जा सकता है, जैसे कि टूबलाइट्स और फैन्स।
Hybrid Inverter
यह इन्वर्टर सौर ऊर्जा, विंड ऊर्जा, या अन्य स्रोतों से बिजली उत्पन्न करने के साथ-साथ बिजली बोर्ड से भी जुड़ सकता है। यह ऊर्जा का सर्वनिर्माण और उपयोग को मैनेज करने में मदद करता है और ऊर्जा को सेव सकता है।
Microinverter
यह Inverter एक-एक डिवाइस के साथ जुड़ता है और हर एक डिवाइस को अलग-अलग साइन वेव इन्वर्ट करता है, जिससे ऊर्जा का व्यापक सवरूप प्राप्त होता है। यह सिस्टम ऊर्जा की न्यूनतम हानि के साथ बेहतर प्रदान करता है।
Inverter के प्रकार यूजर की आवश्यकताओं और बजट के आधार पर चयन किए जाते हैं। आपके डिवाइस और ऊर्जा स्रोतों के अनुसार आपको सही प्रकार के Inverter का चयन करना चाहिए।
Inverter Battery में पानी कितने दिन में बदलना चाहिए?
Inverter battery की सही देखभाल के लिए उसमें पानी की जरुरत होती है, लेकिन पानी की बदलाव की विस्तार से निर्धारण कियी जा सकती है, आपके इन्वर्टर बैटरी के प्रकार और उपयोग के आधार पर।
डिस्टिल्ड पानी: डिस्टिल्ड पानी का उपयोग inverter battery के लिए सर्वोत्तम होता है क्योंकि इसमें अवशोषण होता है और यह बैटरी की जीवनकाल को बढ़ावा देता है। आपको बैटरी में पानी बदलने की आवश्यकता निम्नलिखित हो सकती है:
अगर आपका इन्वर्टर बैटरी सिर्फ डिस्टिल्ड पानी का उपयोग करता है, तो आपको प्रति माह या प्रति 2-3 महीनों में एक बार पानी बदलना चाहिए.
सरकुलेटिंग पानी: कुछ inverter battery डिस्टिल्ड पानी के साथ सरकुलेटिंग पानी का उपयोग करते हैं, जिसमें वाटर और सल्फाटिंग तात्वों का मिश्रण होता है। इसके लिए बैटरी बदलने की आवश्यकता कम हो सकती है और आपको बैटरी की स्थिति के आधार पर बदलने की जरुरत हो सकती है:
आपके इन्वर्टर बैटरी के प्रकार, उपयोग की आवश्यकता और बैटरी की स्थिति के आधार पर, पानी को 6-12 महीनों में एक बार बदलने की सलाह दी जा सकती है।
इन्वर्टर बैटरी की जाँच और पानी के बदलाव की सवयं पर्याप्त जानकारी और बैटरी निरीक्षण के दिन-दिन कार्य के साथ होनी चाहिए।
यदि आप निरीक्षण नहीं कर सकते हैं, तो स्थानीय इन्वर्टर सेवा प्रदाता से संपर्क करके बैटरी की देखभाल और पानी के बदलाव की सलाह प्राप्त करें।
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बैटरी का पानी जल्दी क्यों खत्म होता है?
इन्वर्टर बैटरी का पानी जल्दी खत्म हो सकता है क्योंकि यह बैटरी की चार्जिंग और डिस्चार्जिंग प्रक्रिया के दौरान पानी के अवशोषण का खतरा होता है। यह खतम होने के कुछ कारण हो सकते हैं:
- इलेक्ट्रोलाइट की गिरावट
- बैटरी की अधिक डिस्चार्ज
- उच्च तापमान
- अपेक्षाकृत योग्यता की कमी
- समय के साथ पानी की अपशिष्ट त्रुटियाँ
इसलिए, आपको नियमित समय पर अपने इन्वर्टर बैटरी की स्थिति की जाँच करनी चाहिए और यदि आपको पानी के बदलाव की आवश्यकता होती है, तो उसे सही तरीके से और उचित मात्रा में बदलें।
Inverter Battery में ज्यादा पानी डालने से क्या होता है?
बैटरी में ज्यादा पानी डालने से कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि:
दिस्टिलेशन की समस्या: अगर बैटरी में बहुत अधिक पानी होता है, तो इससे बैटरी के अंदर के एसिड(acid) का प्रतिशत कम हो सकता है, जिससे बैटरी की कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
बैटरी के लीडस् में कोरोजन: बैटरी के लीडस् पर ज्यादा पानी के संपर्क में आने से कोरोजन का खतरा बढ़ सकता है, जिससे बैटरी की जीवनकाल कम हो सकती है।
बैटरी के लीक होने का खतरा: अगर बैटरी में ज्यादा पानी होता है तो यह बैटरी के बॉडी को दबा सकता है और बैटरी के लीक होने का खतरा बढ़ जाता है.
बैटरी की कार्य क्षमता पर प्रभाव: बैटरी में अधिक पानी होने से यह प्राकृतिक तरीके से कार्य नहीं कर सकती है, जिससे इन्वर्टर के काम करने में समस्याएँ हो सकती हैं.
ऊर्जा की हानि: ज्यादा पानी के साथ बैटरी का वजन बढ़ सकता है, जिससे ऊर्जा की बिजली की खपत बढ़ सकती है.
इसलिए, बैटरी में पानी की ज्यादा मात्रा में डालने से बचना चाहिए, और बैटरी के निरीक्षण के दौरान उसकी स्थिति की जांच करनी चाहिए।